Facts About Shodashi Revealed

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Celebrations like Lalita Jayanti underscore her significance, in which rituals and offerings are made in her honor. These observances can be a testament to her enduring allure and also the profound impression she has on her devotees' life.

सर्वाशा-परि-पूरके परि-लसद्-देव्या पुरेश्या युतं

चक्रेशी च पुराम्बिका विजयते यत्र त्रिकोणे मुदा

Charitable functions for example donating food items and apparel to your needy are also integral for the worship of Goddess Lalita, reflecting the compassionate facet of the divine.

षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥६॥

ഓം ശ്രീം ഹ്രീം ക്ലീം ഐം സൗ: ഓം ഹ്രീം ശ്രീം ക എ ഐ ല ഹ്രീം ഹ സ ക ഹ ല ഹ്രീം സ ക ല ഹ്രീം സൗ: ഐം ക്ലീം ഹ്രീം ശ്രീം 

बिंदु त्रिकोणव सुकोण दशारयुग्म् मन्वस्त्रनागदल संयुत षोडशारम्।

Her legacy, encapsulated in the colourful traditions and sacred texts, carries on to guidebook and inspire All those on The trail of devotion and self-realization.

लक्ष्या या चक्रराजे नवपुरलसिते योगिनीवृन्दगुप्ते

कर्त्री लोकस्य लीलाविलसितविधिना कारयित्री क्रियाणां

कामाक्षीं कामितानां वितरणचतुरां चेतसा भावयामि ॥७॥

Lalita Jayanti, a major festival in her honor, is celebrated on Magha Purnima with rituals and communal worship situations like darshans and jagratas.

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के more info समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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